शब्द रूप ( Shabd roop ) – आज इस लेख में हम आपके लिए संस्कृत के शब्द रूप लेके आये है यहाँ पर आपको संस्कृत के सभी शब्द रूप को पढ़ेंगे। इस लेख में हम शब्द रूप जैसे – बालक, लता, राम, फल, मुनी, कवी, नदी, अस्मद् आदि। सभी की लिंक इस आर्टिकल में दी गयी है यहाँ से आप सभी शब्द रूपों को आसानी से याद कर सकते है –

Shabd Roop in Sanskrit वाक्य की सबसे छोटी इकाई को शब्द कहते हैं। शब्दों के अनेक रूप (संज्ञा,सर्वनाम, विशेषण आदि) होते हैं। व्याकरण की भाषा में क्रियापदों को छोड़कर वाक्य के अन्य पदों को नाम कहा जाता है। इस प्रकार किसी व्यक्ति, वस्तु,स्थान, भाव (क्रिया) आदि का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं। संस्कृत भाषा में प्रयोग करने के लिए इन शब्दों को ‘पद’ बनाया जाता है। संज्ञा,सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ लगाई जाती हैं। इन शब्दरूपों (पदों) का प्रयोग (पुँल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में) होता है। इन्हें सामान्यतया शब्दरूप कहा जाता है। संज्ञा आदि शब्दों में जुड़ने वाली विभक्तियाँ सात होती हैं। इन विभक्तियों के तीनों वचनों (एक, द्वि, बहु) में बनने वाले रूपों के लिए जिन विभक्ति-प्रत्ययों की पाणिनि द्वारा कल्पना की गई है, वे ‘सुप्’ कहलाते हैं। इनका परिचय इस प्रकार है-

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमासु (स् = : )जस् (अस्)
द्वितीयाअम्औट् (औ)शस् (अस्)
तृतीयाटा (आ)भ्याम्भिस् (भिः)
चतुर्थीङे (ए)भ्याम्भ्‍य:
पंचमीङसि‍ (अस्)भ्याम्भ्‍य:
षष्‍ठीङस (अस्)ओस् (ओ:)आम्
सप्‍तमीङि (इ)ओस् (ओ:)सुप् (सु)
Shabd Roop in Sanskrit

यह प्रत्‍यय, शब्‍दों के साथ जड़कर अनेक शब्द रूप बनाते हैं। इन विभक्तियों के अतिरिक्त सम्बोधन के लिए भी प्रथमा विभक्ति के ही प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु सम्बोधन एकवचन में प्रथमा एकवचन से रूपों में अन्तर होता है। रूप निर्देश से रूपभेद को स्पष्ट किया गया है-

शब्दों के विभिन्न रूपों में भेद होने के कारण ‘संज्ञा’ आदि शब्दों को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-

1. संज्ञा शब्‍द
2. सर्वनाम शब्‍द
3. संख्‍यावाचक शब्‍द।

संज्ञा शब्द रूपों के दो प्रकार के होते हैं-
i ) अजंत (स्वरान्त)
ii ) हलंत (व्यंजनांत)।

स्‍वरान्‍त (अजन्‍त) – जिन शब्‍दों के अन्‍त में अ, आ, इ, ई आदि स्‍वर होते हैं, उन्‍हें स्‍वरान्‍त कहा जाता है। इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार है- अकारान्‍त, आकारान्‍त, इकारान्‍त, ईकारान्‍त, उकारान्‍त, ऊकारान्‍त, ऋकारान्‍त, एकारान्‍त, ओकारान्‍त तथा औकारान्‍त आदि। यथा – बालक, गरु, कवि, नदी, लता, पित, गो आदि।

व्‍यञ्जनान्‍त (हलन्‍त) – जिन शब्‍दों के अन्‍त में क्, च्, ट्, त् आदि व्‍यञ्जन होते हैं, उन्‍हें व्‍यञ्जनान्‍त कहा जाता है। इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार है- चकारान्‍त, जकारान्‍त, तकारान्‍त, दकारान्‍त, धकारान्‍त, नकारान्‍त, पकारान्‍त, भकारान्‍त, रकारान्‍त, वकारान्‍त, शकारान्‍त, षकारान्‍त, सकारान्‍त, हकारान्‍त आदि रूपों में की जाती है, यथा – श्रीमत्,जगत्, पयस्, राजन्, आदि। 

संज्ञा ( Shabd Roop )

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान,  भाव, या  गुण के नाम को विशेष्य पद को संज्ञा कहते है। जैसे – :, नदी, लता, क्रोध:, राम आदि। संस्कृत में संज्ञा शब्द रूप लिंग के आधार पर छह (6) वर्गों में रखे जाते हैं-

  1. अजन्त पुल्लिंग – देव, मुनि, भानु, पितृ, बालक, अध्यापक इत्यादि ।
  2. अजन्त स्त्रीलिंग – लता, मति, धेनु, मातृ, बालिका, नदी, वधु इत्यादि ।
  3. अजन्त नपुंसकलिंग – फल, दधि, मधु, धातृ, मित्र, वन, धातृ इत्यादि ।
  4. हलन्त पुल्लिंग – मरुत् , राजन् , वेधस्  इत्यादि ।
  5. हलन्त स्त्रीलिंग – सरित् , गिर् , दिश्  इत्यादि ।
  6. हलन्त नपुंसकलिंग – जगत् , पयस्  इत्यादि ।

अकारान्‍त पुल्लिङ्ग् शब्‍द रूप

Topic

Action

बाला शब्द रूप

दातृ शब्द रूप

ग्लौ शब्द रूप

नदी शब्द के रूप

सुधी शब्द के रूप

साधु-शब्द-रूप

गुरू शब्द के रूप

कवि शब्दरूप

नर शब्द के रूप

अजन्त पुल्लिंग अध्यापक शब्द रूप

वृक्ष शब्द रूप

छात्र शब्द रूप

पितृ शब्द के रूप

सखि शब्द के रूप

पति शब्द के रूप

विश्वपा शब्द के रूप

देव ( देवता ) शब्द के रूप

राम शब्द रूप

बालक शब्द रूप

Shabd Roop – वाक्य की सबसे छोटी इकाई को शब्द कहते है। संस्कृत के शब्द रूप व्याकरण में प्रयोग किये जाते हैं। शब्द रूपों का प्रयोग वाक्य बनाने के लिए किया जाता है। शब्दों के अनेक रूप होते है जैसे – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण इत्यादि। इस लेख में हम संस्कृत के सभी शब्द रूप को पढ़ेंगे।