Sandhi Vichchhed : संधि – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Sandhi in Hindi 

Sandhi Vichchhed : परिभाषा, भेद और उदाहरण | Sandhi in Hindi – इस आर्टिकल में हम संधि Sandhi ), संधि किसे कहते हैं, संधि की परिभाषा, संधि के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।  इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।  हम यहां पर संधि ( Sandhi ) के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में संधि ( Sandhi ) से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Sandhi in hindi grammar संधि इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।  तो चलिए शुरू करते है –

संधि किसे कहते हैं | Sandhi Kise Kahate Hain

संधि का शाब्दिक अर्थ है – मेला भाषा में दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं ।
जब दो शब्दों के बीच संधि होती है तो पहले शब्द के अंतिम वर्ण का दूसरे शब्द के प्रथम वर्ण से मेल हो जाता है ;

स्वर + स्वर = स्वर संधि
स्वर + व्यंजन = व्यंजन संधि
व्यंजन + स्वर = व्यंजन संधि
व्यंजन + व्यंजन = व्यंजन संधि
विसर्ग + स्वर = विसर्ग संधि
विसर्ग + व्यंजन = विसर्ग संधि

संधि के उदहारण – Sandhi Ke Udaharan

हिम + आलयः = हिमालय (अ + आ = आ)
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)
सूर्य + उदयः = सूर्योदयः (अ + उ = ओ)
कवि + इन्द्रः = कवीइन्द्रः (इ+ इ = ई)
रमा + ईश = रमेश (आ + ई = ए)
विद्या + आलय = विद्यालयः (आ + आ = आ)

संधि के उदहारण – Sandhi Ke Udaharan

पर + उपकार = परोपकार
रमा + ईश = रमेश
तथा + एव = तथैव
पो + अन = पवन

संधि-विच्छेद (Sandhi Viched ki Paribhasha)

संधि का अर्थ है- ‘मेल’ या मिलना तथा विच्छेद का अर्थ है- ‘अलग होना’। अर्थात् ‘संधि के अलग करने की प्रक्रिया को संधि-विच्छेद कहते हैं।

संधि-विच्छेद के उदाहरण

  • देवालयः = देव + आलयः (अ + आ = आ)
  • वधूत्सवः = वधू + उत्सवः (ऊ + उ = ऊ)

संधि के भेद ( Kinds of Combination )

संधि के भेद | Sandhi Ke Bhed
संधि के तीन भेद होते हैं –

1.स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि

1. स्वर संधि ( Combination of Vowels )

स्वर संधि किसे कहते हैं | Swar Sandhi Kise Kahate Hain

दो स्वर अक्षरों के मिलने से जो परिवर्तन होता है , उसे ‘ स्वर संधि ‘ कहते हैं ।

जैसे – रवि + इंद्र = रवींद्र

इनमें पहले शब्द की अंतिम ध्वनि ‘ इ ‘ स्वर है तथा दूसरे शब्द की प्रथम ध्वनि ‘ इ ‘ भी स्वर है , इस तरह से इ + इ के मिलने से ‘ ई ‘ बनी ।

स्वर संधि के भेद | swar sandhi ke bhed

यह पाँच प्रकार की होती है –
1 . दीर्घ संधि

2. गुण संधि
3. यण संधि
4. वृद्धि संधि
5. अयादि संधि

( 1 ) दीर्घ संधि – जब ह्रस्व या दीर्घ ‘ अ ‘ , ‘ इ ‘ , ‘ उ ‘ , ‘ ऋ ‘ के बाद समान स्वर ‘ अ ‘ , ‘ इ ‘ , ‘ उ ‘ , ‘ ऋ ‘ आता है , तो दोनों के स्थान पर दीर्घ स्वर ‘ आ ‘ , ‘ ई ‘ , ‘ ऊ ‘ , ‘ ऋ ‘ हो जाता है ;

जैसे:-

  • मत + अनुसार = मतानुसार ( अ + अ = आ )
  • सुख + अर्थ = सुखार्थ ( अ + अ = आ )
  • देव + आलय = देवालय ( अ + अ = आ )
  • हिम + आलय = हिमालय ( अ + अ = आ )
  • सीमा + अंत = सीमांत ( अ + अ = आ )
  • विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • दया + आनंद = दयानन्द

 ( 2 ) गुण संधि – जब अ , आ का संयोग इ , ई तथा ऋ से होता है , तो क्रमश : ए , ओ और अर् हो जाता है । इस प्रकार की संधि ‘ गुण संधि ‘ कहलाती है ;

  • जैसे:-  देव + इंद्र =देवेंद्र (अ + इ =ए)
  • महा + इंद्र =महेंद्र (आ + इ = ए)
  • गण + ईश = गणेश अ + ई = ए)
  • यथा + ईष्ट =यथेष्ट (आ + ई = ए)
  • नर + उत्तम = नरोत्तम ( अ +  उ = ओ)
  • सूर्य + ऊर्जा = सूयोंर्जा (अ + ऊ = ओ)
  • महा + उत्सव= महोत्सव (आ + उ= ओ)
  • महा + उदय = महोदय (आ + उ = ओ)
  • समुद्र + ऊर्मि = समुनोर्मि (अ + ऊ= ओ)
  • यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि (आ + ऊ= ओ)
  • ब्रह्म+ ऋषि = ब्रह्मर्षि ( अ + ऋ = अर्)
  • सप्त+ ऋर्षि = सप्तर्षि(अ + ऋ= अर्)
  • राजा+ ऋर्षि= राजर्षि ( आ+ ऋ= अर्)
  • महा+ ऋर्षि =महर्षि ( आ+ ऋ= अर्थ)

( 3 ) यण संधि – इ , ई के बाद कोई असमान स्वर आए तब इ , ई का य ; उ , ऊ का व और ऋका र हो जाता है । इसे ‘ यण संधि ‘ कहते हैं ;

  • जैसे:-  अति+ अधिक= अत्यधिक (इ+ अ= य)
  • यदि+ अपि= यद्यपि ( इ+ अ= य)
  • इति+ आदि= इत्यादि( इ+ आ= या)
  • देवी+ आगमन= देव्यागमन( ई+ आ= या)
  • अति+ उत्तम= अत्युक्त( इ+ उ= य)
  • सखी+ उक्ति= सख्युक्त( ई+ उ=य)
  • प्रति+ एक= प्रत्येक( इ+ ए= ये)
  • अधि+ एता= अध्येता(इ+ए= ये)
  • देवी+ अर्पण=देव्यर्पण ( ई+अ=य)
  • नदी+आगमन=नद् यागमन (ई+ अ= या)
  • देवी+आलय=देव्यालय(ई+ आ= या)
  • गुरु+ आकृति=गुवाॆकृति(उ+आ=वा)
  • अनु+एषण=अन्वेषण(उ+ए =वे)
  • सु+अच्छ=स्वच्छ(उ+अ=व)
  • अनु+अय=अन्वय(उ+अ=व)
  • वधु+आगमन=वध्वागमन(ऊ+आ=वा)
  • अनु+इति=अन्विति(ई+इ=वि)
  • पितृ+अनुमति=पित्रानुमति(ऋ+आ=रा)
  • पितृ+आलय=पित्रालय(ऋ+आ=रा)
  • भ्रातृ+इच्छा=भ्रात्रिच्छा(ऋ+इ=रि)
  • मातृ+उपदेश=मात्रुपदेश(ऋ+उ=रु)

( 4 ) वृद्धि संधि – जब अ , आ का ए , ऐ से मिलने पर ऐ तथा अ , आ का ओ , औ से मेल होने पर ‘ औ ‘ हो जाता है , उसे वृद्धि संधि ‘ कहते हैं ;

  • जैसे:  लोक+एषणा=लोकैषणा  (अ+ए=ऐ)
  • एक+एक=एकैक  (अ+ए=ऐ)
  • मत+ऐक्य=मतैक्य  (अ+ऐ=ऐ)
  • धन+ऐश्वर्य=धनैश्वर्य  (अ+ऐ=ऐ)
  • तथा+एव=तथैव  (आ+ए=ऐ)
  • सदा+एव=सदैव   (आ+ए=ऐ)
  • महा+ऐश्वर्य=महैश्वर्य  (आ+ऐ=ऐ)
  • माता+ऐश्वर्य=मतैश्वर्य  (आ+ऐ=ऐ)
  • जल+ओघ=जलौघ  (अ+ओ=औ)
  • महा+ओजस्वी=महौजस्वी  (आ+ओ=औ)
  • देव+औदार्य=देवौदार्य  (अ+औ=औ)
  • महा+औषध=महौषध  (आ+औ=औ)

( 5 ) अयादि संधि – जब ए , ओ , ऐ , औ के बाद कोई अन्य स्वर हो , तो इसके स्थान पर क्रमश : अय , अव् , आय , आव् हो जाता है , तो उसे ‘ अयादि संधि ‘ कहते हैं ;

जैसे:-

  • चे+अन=चयन  (ए+अ=अय्)
  • ने+अन=नयन  (ए+अ=अय्)
  • गै+अक=गायक   (ऐ+अ=आय्)
  • नै+अक=नायक   (ऐ+अ=आय्)
  • पो+अन=पवन   (ओ+अ=अव्)
  • भो+अन=भवन   (ओ+अ=अव्)
  • पौ+अक=पावक  (औ+अ=आव्)
  • पौ+अन=पावन  (औ+अ=आव्)
  • पो+इत्रम्=पवित्रम्  (ओ+इ=अव्)
  • गो+ईश=गविश  (ओ+ई=अव्)
  • नौ+इक=नाविक   (औ+इ=आव्)
  • भौ+उक=भावुक  (औ+उ=आव्)
2. व्यंजन संधि या हल् संधि ( Combination of Consonants )

व्यजन में किसी व्यंजन या स्वर के मिलने से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि ‘ कहते हैं ; जैसे

( क ) यदि विभिन्न वर्गों के पहले व्यंजन के आगे कोई स्वर आए तो पहला व्यंजन अपने वर्ग के तीसरे व्यंजन में बदल जाता है ;

जैसे :-

  • वाक्+ईश=वागीश  (क्+ई=ग)
  • सत्+आचार=सदाचार  (त्+ आ=द)
  • उत्+अय=उदय  (त्+अ=द)
  • दिक्+अंबर=दिगंबर  (क्+अ=ग)

( ख ) यदि विभिन्न वर्गों के पहले व्यंजन के बाद किसी वर्ग का तीसरा , चौथा या कोई अंत : स्थ व्यंजन आया हो तो वह अपने वर्ग के तीसरे या पाँचवें व्यंजन में बदल जाता है ;

जैसे:- 

  • जगत्+नाथ= जगन्नाथ  (त्+ना=न्ना)
  • उत्+नति=उन्नति  (त्+न=न)
  • सत्+भावना=सद् भावना   (त्+भा=द् भा
  • उत्+घाटन=उद् घाटन  (त्+घा= दर घा)

( ग ) यदि किसी शब्द के अंत में त् आया हो और उसके बाद च या छ हो , तो त् बदलकर च् हो जाता है ;

जैसे:-

  • सत्+चरित्र=सच्चरित्र
  • जगत्+छवि=जगच्छवि
  • उत्+चारण=उच्चारण

( घ ) यदि पहले शब्द के अंत में त् और दूसरे शब्द के आरंभ में स हो तो त् ज्यों – का – त्यों रहता है ; जैसे:-

  • सत्+साहस=सत्साहस
  • उत्+सर्ग=उत्सर्ग
  • सत्+सकल्प=सत्संकल्प
  • सत्+संगति=सत्संगति

( ङ ) यदि त् के बाद ज और ल आए हों तो त् बदलकर क्रमश : ज् और ल् हो जाता है ;

जैसे:-

  • सत्+जन=सज्जन
  • उत्+ज्वल=उज्जवल
  • उत्+लास=उल्लास
  • तत्+लीन=तल्लीन
3. विसर्ग संधि ( Combination of Visarg )

विसर्ग ( 🙂 के साथ स्वर या व्यंजन के मिलने से जो परिवर्तन होता है , उसे ‘ विसर्ग संधि ‘ कहते हैं ; जैसे

( क ) यदि विसर्ग के बाद च , छ , श व्यंजन आएँ तो विसर्ग श् में बदल जाता है ;

जैसे:-

  • दु:+चरित्र=दुश्चरित्र
  • नि:+छल= निश्छल
  • दु:+शासन=दुश्शासन
  • हरि:+चंद्र=हरिश्चंद्र

( ख ) यदि विसर्ग के बाद त् या स आये हो तोतो विसर्ग स् में बदल जाता है ;

जैसे:-

  • नि:+तेज=निस्तेज
  • मन:+ताप=मनस्ताप
  • नि:+संकोच=निस्संकोच
  • दु:+साहस=दुस्साहस

( ग ) यदि विसर्ग के बाद क, ट या फ हो तो विसर्ग ष् में बदल जाता है ;

जैसे:-

  • नि:+फल=निष्फल
  • नि:+कपट=निष्कपट
  • नि:+कलंक=निष्कंलक
  • धनु:+टंकार=धनुष्टंकार

( घ ) यदि विसर्ग के बाद र आया हो तो पहले आया हुआ ह्वस्व स्वर दीर्घ हो जाता है ;

जैसे:-

  • नि:+रोग=नीरोग
  • नि:+रस=नीरस

( ड़ ) यदि विसर्ग के बाद स्वर आया हो तो विसर्ग र् में बदल जाता है ;

जैसे:-

  • नि:+आशा=निराशा
  • दु:+गुण=दुर्गुण

( च ) सघोष व्यंजन से पहले आये हुए विसर्ग का ओ हो जाता है;

जैसे:-

  • तप:+वन=तपोवन
  • मन:+बल=मनोबल

( ख ) यदि पुनः या अन्तः के बाद सघोष आया हो तो विसर्ग र् हो जायेगा ;

जैसे:-

  • पुन:+मिलन=पुनर्मिलन
  • अंत:+देशीय=अंतदेंशीय

दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Sandhi in Hindi के साथ – साथ Sandhi kise kahate hain, Sandhi ki Paribhasha, Sandhi ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।

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