विभिन्न मनोभावों को प्रकट करने वाले शब्द ‘ विस्मयादिबोधक अव्यय ‘ होते हैं । निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए और समझिए :
( क ) हाय ! मेरा पाँव टूट गया ।
( ख ) हे भगवान ! हमारी सहायता करना ।
( ग ) बाप रे बाप ! इतना बड़ा साँप ।
( घ ) छिः छिः ! कितनी गंदगी है ।
( ङ ) अरे ! तुम क्या कर रहे हो ?
( च ) अहा ! बहुत मीठा सेब है ।
( छ ) उफ ! जुलाई में भी कोई वर्षा नहीं ।
उपर्युक्त वाक्यों में हाय , हे भगवान , बाप रे बाप , छिः छिः , अरे , अहा और उफ शब्द मन के भावों को प्रकट कर रहे हैं । ये शब्द ‘ विस्मयादिबोधक अव्यय ‘ हैं ।
जो शब्द हर्ष, शोक,घृणा, विस्मय, लज़्ज़ा, आश्चर्य, चेतावनी आदि भावो को प्रकट, करते है, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते है।
विस्मयादिबोधक अव्यय ( Interjection )
मनोभाव | विस्मयादिबोधक अव्यय |
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हर्षबोधक
आश्चर्यबोधक स्वीकृतिबोधक घृणाबोधक शोकबोधक चेतावनीबोधक संबोधनबोधक | अहा!, वाह!, शाबास!, बहुत खूब! आदि।
हरे!, क्या!, वाह!, है!, अहो! आदि। हाँ!, ठीक है!, बहुत अच्छा! आदि। छि: !, धिक् !, थू, हट ! ,धिक्कार हैं ! आदि। बाप रे !, त्राहि-त्राहि !, हे राम !, आह !, हां ! आदि। ख़बरदार ! , होशियार !, सावधान ! आदि अरे !, ओ !, अजी !, रे !, री ! आदि |
निपात ( Nipat )
वे अव्यय जो वाक्य में किसी शब्द के बाद लगाकर विशेष प्रकार का बल देते हैं , उन्हें ‘ निपात या अवधारक ‘ शब्द कहते हैं ।
ये शब्द हैं ही , भी , तो , तक , मात्र , भी आदि ।
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए और समझिए :
( क ) अजय आज ही घर जा रहा है ।
( ख ) हर्षित तो आएगा , दीक्षा भी आएगी ।
( ग ) वह अभी तक नहीं आया ।
( घ ) मात्र कह देने से कुछ नहीं होता ।
( ङ ) सोहन तो गया , सीमा को भी साथ ले गया ।
( च ) केवल कह देने भर से कुछ नहीं होता , कुछ बन के दिखाओ ।